पराली को आग न लगाएँ, खेतों की उपज बढ़ाएँ
किसान अमरजीत सिंह ने सात साल से पराली को नहीं लगाई आग
पराली को खेतों में मिलाने से गुल्ली डंडे की समस्या खत्म हुई : अमरजीत सिंह
कहा, आग न लगाने से खेत की उपजाऊ शक्ति बढ़ी
पटियाला : पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए किसान पूरी तरह से जागरूक हो गए हैं, इसका उदाहरण पटियाला जिले के गांव हिरदापुर का युवा किसान अमरजीत सिंह है, जो अपनी चार एकड़ ज़मीन में बिना आग लगाए पराली का निपटारा हैप्पी सीडर के साथ पराली को खेतों में ही मिला कर करता आ रहा है। अपना खेती का अनुभव साझा करते हुए किसान अमरजीत सिंह ने कहा कि उसने अपनी चार एकड़ ज़मीन में पिछले सात वर्षों के दौरान कभी आग नहीं लगाई, बल्कि हैप्पी सीडर का उपयोग करके पराली को खेतों में ही मिला दिया। 25 वर्षीय किसान अमरजीत सिंह ने बताया कि पहले उनके खेत में गुल्ली डंडे की बड़ी समस्या थी, खेतों में गेहूं की फसल से पहले गुल्ली डंडा हो जाता था और गेहूं की पैदावार साढ़े तीन क्विंटल प्रति बीघे होती थी। लेकिन जब से पराली का निपटारा खेतों में ही करना शुरू किया है, तब से धीरे-धीरे खेत से गुल्ली डंडे की समस्या पूरी तरह समाप्त हो गई है और अब गुल्ली डंडे की स्प्रे करने की भी आवश्यकता नहीं पड़ती है और पैदावार भी एक क्विंटल प्रति बीघे बढ़ गई है। उन्होंने बताया कि पराली को खेतों में आग न लगाने से जहाँ खाद की उपयोग में कमी आई है, वहीं खेतों में पानी नहीं खड़ा होता और गेहूं की फसल के गिरने की समस्या भी नहीं आती। उन्होंने अन्य किसानों से भी पराली का निपटारा खेतों में ही करने की अपील की और कहा कि ऐसा करने से न केवल हम अपनी ज़मीन की उपजाऊ शक्ति बढ़ाते हैं बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी सुरक्षित वातावरण देने में योगदान देंगे। पटियाला के डिप्टी कमिश्नर शौकत अहमद परे ने किसान अमरजीत सिंह की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे युवा किसान अन्य किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
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