Jagjit Singh birthday tribute : जगजीत सिंह, जिन्हें गजल सम्राट के नाम से जाना जाता है, सिर्फ एक गायक नहीं, एक एहसास थे। उनकी आवाज में वो जादू था जो सीधे दिल को छू जाता था। आज भी उनकी गजलों को सुनकर लाखों लोग सुकून और शांति का अनुभव करते हैं। लेकिन जगजीत सिंह की इस कामयाबी के पीछे कई अनसुनी कहानियां और रोचक तथ्य छिपे हैं, जिनके बारे में शायद आप नहीं जानते होंगे।आज हम ग़ज़ल की दुनिया के अनमोल रत्न, जगजीत सिंह का जन्मदिन मना रहे हैं।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उन्होंने कितनी मुश्किलों का सामना किया था? उनका संघर्ष सिर्फ आर्थिक तंगी तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने अपनी पहचान, अपने लुक, और यहां तक कि अपनी ज़िंदगी के कई महत्वपूर्ण फैसलों को बदलते हुए सफलता पाई। आइए जानते हैं उनकी संघर्ष-गाथा के कुछ अनसुने पहलू। इस अवसर पर हम आपको उनके जीवन के कुछ रोचक पहलुओं और उनके करीबी दोस्त श्री एस.डी. शर्मा के साथ एक खास साक्षात्कार से जुड़ी यादों को साझा करते हैं, जो जगजीत सिंह की यात्रा को और भी करीब से समझने का एक मौका प्रदान करता है।
Jagjit Singh का जन्म और संगीत से प्रेम
Jagjit Singh birthday tribute, जगजीत सिंह का जन्म 8 फरवरी, 1941 को राजस्थान के श्री गंगानगर में हुआ था। उनका परिवार साधारण था। उनके पिता सरदार अमर सिंह धीमान एक सरकारी अधिकारी थे और माँ बच्चन कौर एक गृहिणी थीं। जगजीत के संगीत के प्रति गहरे प्रेम ने उन्हें हमेशा प्रोत्साहित किया।
“जगजीत सिंह से जुड़ी अनमोल यादें: एक हारमोनियम और दिल छू लेने वाली कहानी
श्री एस.डी. शर्मा के साथ बिताए गए समय की बातें जगजीत सिंह के जीवन के अहम हिस्से रही हैं। श्री शर्मा कहते हैं, “जब भी जगजीत पंजाब आते थे, वे हमेशा मुझसे संपर्क करते थे। उन दिनों की यादें आज भी ताजा हैं।” श्री शर्मा ने एक दिलचस्प किस्सा साझा किया, “2010 में जब जगजीत ने पंजाब में शो किया, तो उन्होंने मुझे अपना हारमोनियम उपहार में दिया। और जब उन्होंने यह हारमोनियम मुझे सौंपा, तो उन्होंने कहा, ‘यह सिर्फ हारमोनियम नहीं है, यह मैं हूँ, जगजीत सिंह, पूरी तरह से।'”
पगड़ी छोड़ने का दर्द: जगजीत सिंह ने क्यों लिया करियर के लिए यह बड़ा फैसला?
जगजीत सिंह, जो एक सिख परिवार से थे और हमेशा अपनी पगड़ी पहनते थे, ने अपने करियर के शुरुआती दिनों में एक ऐसा फैसला लिया, जिसने उनके जीवन को हमेशा के लिए बदल दिया। उनके पिता रागी सिख थे और पारंपरिक रूप से पगड़ी उनकी पहचान का हिस्सा थी। लेकिन जब उन्होंने अपने पहले EP (Extended Play) रिकॉर्डिंग के लिए मिस्टर बैरी के पास पहुंचे, तो उन्हें एक कठिन चुनौती का सामना करना पड़ा।
मिस्टर बैरी ने उनसे कहा, “अगर तुम इंडस्ट्री में आगे बढ़ना चाहते हो, तो तुम्हें अपना लुक बदलना होगा। सिख चेहरा गजल गाते हुए अच्छा नहीं लगता।” यह सुनकर जगजीत सिंह बहुत परेशान हुए, लेकिन अपने करियर को नई ऊँचाइयों तक पहुंचाने के लिए उन्होंने अपनी पगड़ी छोड़ दी और अपने बाल कटवा लिए।
यह फैसला उनके लिए भावनात्मक रूप से कठिन था, क्योंकि यह उनकी सांस्कृतिक पहचान से जुड़ा हुआ था। लेकिन इस बदलाव के बाद उनका करियर और पहचान दोनों ही चमक उठे।
खुशवंत सिंह की लेखनी और दिलीप कुमार से पहली मुलाकात
जगजीत सिंह की सफलता की कहानी में खुशवंत सिंह का अहम योगदान था, जिनकी लेखनी ने उनकी किस्मत बदल दी। एक दिन, जब खुशवंत सिंह ने एक रेस्तरां में जगजीत को गाते हुए सुना, उन्होंने महसूस किया कि यह आवाज़ केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि संगीत की दुनिया में एक नई क्रांति ला सकती है। इसके बाद खुशवंत सिंह ने एक लेख लिखा, जिसमें उन्होंने जगजीत को “पंजाब का लड़का” बताया, जो दिलीप कुमार से अधिक सुंदर और मेहदी हसन से अधिक मधुर था।
यह लेख न केवल जगजीत सिंह के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ, बल्कि इसने बॉलीवुड के महान अभिनेता दिलीप कुमार का भी ध्यान आकर्षित किया। दिलीप कुमार ने जगजीत सिंह को मिलने के लिए आमंत्रित किया और उनसे कहा, “सरदार साहब सही थे।” यह शब्द जगजीत सिंह के लिए एक अप्रत्याशित सराहना थे, क्योंकि दिलीप कुमार जैसे दिग्गज अभिनेता ने उनकी कला और गायन की सराहना की थी।
पहली मुलाकात का किस्सा: जब Jagjit Singh ने जीता चित्रा का दिल
जगजीत और चित्रा सिंह की प्रेम कहानी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं। दोनों की पहली मुलाकात एक संगीत कार्यक्रम में हुई थी। चित्रा की आवाज सुनकर जगजीत मंत्रमुग्ध हो गए थे। उन्होंने चित्रा से कहा, “तुम्हारी आवाज बहुत अच्छी है, तुम्हें गाना नहीं छोड़ना चाहिए।” इस पहली मुलाकात ने दोनों के जीवन को एक नया मोड़ दिया और जल्द ही दोनों ने शादी कर ली। उनकी शादी के बाद उन्होंने साथ में कई ग़ज़ल एल्बम निकाले। लेकिन उनकी निजी ज़िंदगी हमेशा खुशहाल नहीं रही। उनके बेटे विवेक की मौत ने दोनों को तोड़ दिया, और चितरा ने हमेशा के लिए गायकी छोड़ दी।
शुरुआती दौर: कठिनाइयों का सामना
जगजीत सिंह का शुरुआती जीवन कठिनाइयों से भरा था। संगीत में रुचि होने के बावजूद, उनके पिता चाहते थे कि वह एक सरकारी नौकरी करें। लेकिन जगजीत के दिल में संगीत बसा था, और उन्होंने अपने सपने को पूरा करने के लिए हर मुश्किल का सामना किया। उन्होंने जालंधर रेडियो में गाना शुरू किया, और धीरे-धीरे अपनी पहचान बनाने लगे। 1965 में वह मुंबई आ गए, जहां उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। उन्होंने होटलों में गाना गाया, और विज्ञापन फिल्मों में जिंगल गाए। कई बार उनको पैसे भी नहीं मिलते थे तो कभी उनको काम से पैदल घर आना पड़ता था।
संघर्ष से सफलता तक: एक प्रेरणादायक सफर
जगजीत सिंह की कहानी हमें सिखाती है कि सफलता आसान नहीं होती। उन्होंने हर मोड़ पर संघर्ष किया, लेकिन हार नहीं मानी। चाहे आर्थिक तंगी हो, पहचान बदलने की चुनौती हो, या बेटे की मृत्यु का दर्द – उन्होंने हर मुश्किल को सहते हुए संगीत की दुनिया को अपनी ग़ज़लों से रोशन किया।
Jagjit Singh की आवाज का जादू: आज भी दिलों पर राज
जगजीत सिंह का संगीत न केवल भारतीय संगीत जगत का अहम हिस्सा है, बल्कि उनकी ग़ज़लें दुनियाभर के श्रोताओं के दिलों में बस गई हैं। उनका संगीत, उनकी आवाज़, और उनकी ग़ज़लें आज भी लोगों को आत्मिक शांति और सुकून का एहसास कराती हैं। वे सिर्फ एक महान गायक ही नहीं थे, बल्कि एक सच्चे कलाकार भी थे, जिन्होंने अपने सिद्धांतों और मूल्यों को हमेशा बनाए रखा।
Jagjit Singh birthday tribute,जगजीत सिंह भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी आवाज आज भी लाखों दिलों पर राज करती है। उनकी गजलों में प्रेम, दर्द, खुशी, और उदासी जैसे हर भाव को महसूस किया जा सकता है। जगजीत सिंह की आवाज एक अमृत की तरह है, जो हर पीढ़ी को अपनी ओर आकर्षित करती है।
आखिरकार, जगजीत सिंह के जन्मदिन पर, हम उन्हें एक मास्टर ग़ज़ल गायक, एक समर्पित कलाकार और एक सच्चे इंसान के रूप में याद करते हैं। उनकी आवाज़ हमेशा हमारे दिलों में बसी रहेगी।
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