Chang’e-8 मिशन में पाकिस्तान की भागीदारी, पाकिस्तान और चीन का सहयोग

by The_UnmuteHindi
Pakistan's participation in Chang'e-8 mission

नई दिल्ली , 07 फ़रवरी 2025: पाकिस्तान ने चंद्र अन्वेषण के क्षेत्र में एक बड़ी छलांग लगाई है। अंतरिक्ष और ऊपरी वायुमंडल अनुसंधान आयोग (SUPARCO) ने 2028 में चीन के साथ मिलकर Chang’e-8 चंद्र मिशन में अपनी भागीदारी का ऐलान किया है। इस मिशन में पाकिस्तान का स्वदेशी रूप से निर्मित एक रोवर शामिल होगा, जिसे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का अध्ययन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह मिशन बड़े अंतर्राष्ट्रीय चंद्र अनुसंधान स्टेशन (ILRS) परियोजना का एक हिस्सा है और इस सहयोग का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा पर वैज्ञानिक अनुसंधान को आगे बढ़ाना है।

पाकिस्तान का चंद्र अन्वेषण में नया कदम

पाकिस्तान की अंतरिक्ष एजेंसी SUPARCO और चीन के राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन (CNSA) के बीच इस साझेदारी का उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के अध्ययन में योगदान देना है। यह क्षेत्र अपनी कठिन भौगोलिक परिस्थितियों और संभावित वैज्ञानिक खोजों के लिए जाना जाता है। पाकिस्तान ऑब्जर्वर के अनुसार, पाकिस्तान का 35 किलोग्राम वज़नी रोवर इस मिशन का हिस्सा बनेगा, जो चंद्रमा की सतह पर विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोग करेगा।

Chang’e-8 मिशन का उद्देश्य और महत्व

Chang’e-8 मिशन को विशेष रूप से चंद्र विज्ञान के क्षेत्र में नई तकनीकों का परीक्षण करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। NASA के अनुसार, इस मिशन का उद्देश्य पृथ्वी अवलोकन, चंद्र नमूनों का विश्लेषण और चंद्र वातावरण में स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र बनाए रखने के लिए संसाधन उपयोग तकनीकों का परीक्षण करना है। इसके साथ ही, यह मिशन चंद्रमा पर नए वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देने में भी मदद करेगा।

पाकिस्तानी रोवर की भूमिका

पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार, इस मिशन के तहत पाकिस्तान का रोवर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का अध्ययन करेगा। SUPARCO के प्रवक्ता ने कहा, “पाकिस्तानी रोवर चंद्र सतह पर अनुसंधान को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जो चीन के चंद्र अन्वेषण लक्ष्यों को साकार करने में मदद करेगा।” यह मिशन अंतरिक्ष अनुसंधान में पाकिस्तान की बढ़ती भूमिका को प्रदर्शित करता है और इस क्षेत्र में नए रास्ते खोलने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

पाकिस्तान और चीन के बीच मजबूत अंतरिक्ष सहयोग

इस्लामाबाद और बीजिंग के बीच यह साझेदारी नए युग की शुरुआत है। इससे पहले, मई 2024 में पाकिस्तान का iCube कमर क्यूबसैट उपग्रह चीन के चांग’ई-6 मिशन पर लॉन्च हुआ था, जिसने सफलतापूर्वक चंद्र कक्षा में प्रवेश किया था। यह सहयोग दोनों देशों के लिए एक सफलता मानी जाती है और चंद्र अन्वेषण में उनकी साझा प्रतिबद्धता को दिखाता है।

Chang’e-8 मिशन के बारे में विस्तार से

Chang’e-8 मिशन, जिसे चीन का एक महत्वपूर्ण अंतरिक्ष अभियान माना जा रहा है, अन्य देशों के लिए अभूतपूर्व अवसर प्रदान कर रहा है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार, इस मिशन ने इच्छुक देशों को 200 किलोग्राम तक पेलोड क्षमता देने की पेशकश की है। यह पेलोड उपकरणों, रोबोट, रोवर्स और फ्लाइट व्हीकल्स के रूप में हो सकते हैं, जो चंद्रमा की सतह पर स्वतंत्र रूप से काम करेंगे। मिशन के डिप्टी चीफ डिजाइनर वांग किओंग ने कहा, “यह पेलोड चंद्रमा पर महत्वपूर्ण वैज्ञानिक उपकरणों और तकनीकी उपकरणों को भेजने का एक अनूठा अवसर प्रदान करेगा।”

चीन का चंद्रमा पर दीर्घकालिक मिशन

चीन का चांग’ई-8 मिशन, जो 2028 में लॉन्च होगा, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास एक स्थायी बेस बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा। चीन का उद्देश्य 2035 तक चंद्रमा के इस क्षेत्र में एक स्थायी आधार स्थापित करना है, जो भविष्य में चंद्र अन्वेषण के लिए एक प्रमुख केंद्र बन सकता है। चांग’ई-8 मिशन इस दीर्घकालिक लक्ष्य की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाएगा।

अंतरिक्ष अनुसंधान में पाकिस्तान का भविष्य

चांग’ई-8 मिशन में पाकिस्तान की भागीदारी अंतरिक्ष अनुसंधान में पाकिस्तान के बढ़ते प्रभाव को दर्शाती है। यह मिशन केवल चीन-पाकिस्तान के बीच अंतरिक्ष सहयोग को मजबूत नहीं करेगा, बल्कि पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने का भी एक बड़ा अवसर प्रदान करेगा।

पाकिस्तान और चीन का यह साझेदारी अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक नई साझेदारी की शुरुआत कर रही है, जो आने वाले समय में और भी बड़ी सफलता की ओर अग्रसर हो सकती है।

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