Tips for deep sleep: आजकल की व्यस्त और तनावपूर्ण जीवनशैली में अधिकांश लोग नींद की समस्याओं से जूझ रहे हैं। अपर्याप्त नींद या अनिद्रा केवल मानसिक तनाव ही नहीं, बल्कि शारीरिक समस्याओं का भी कारण बन सकती है। ये समस्याएं अक्सर तनाव, चिंता, अवसाद और अस्वस्थ खानपान जैसी आदतों के कारण उत्पन्न होती हैं। दवाइयों से तात्कालिक राहत मिल सकती है, लेकिन लंबे समय तक इनका उपयोग कई समस्याएं पैदा कर सकता है। इस स्थिति से निपटने के लिए “नींद की स्वच्छता” की अवधारणा बेहद महत्वपूर्ण है, जो हमें नींद की गुणवत्ता सुधारने के लिए अपनी आदतों में बदलाव करने की सलाह देती है।
आयुर्वेदिक दृष्टिकोण और नींद का महत्व
आयुर्वेद में जीवन के तीन महत्वपूर्ण स्तंभ माने जाते हैं: भोजन, नींद और ब्रह्मचर्य। इन तीनों का संतुलन बनाए रखना स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है, और नींद को इसमें विशेष स्थान प्राप्त है। आयुर्वेद के अनुसार, रोजाना सात से आठ घंटे की अच्छी नींद लेना बेहद ज़रूरी है। अगर दिन में लंबे समय तक झपकी ली जाती है, तो रात की नींद में खलल पड़ सकता है।
नींद सुधारने के लिए आयुर्वेदिक उपाय और सामान्य आदतें
- नियमित सोने और जागने का समय: एक नियमित नींद-जागने का चक्र शरीर को बेहतर नींद के लिए तैयार करता है। हर दिन एक ही समय पर सोने और जागने की आदत डालें।
- शारीरिक गतिविधि: शाम को जोरदार व्यायाम से बचें, क्योंकि अत्यधिक थकान भी नींद में खलल डाल सकती है। हल्के व्यायाम जैसे योग या स्ट्रेचिंग से नींद को प्रोत्साहन मिलता है।
- संतुलित आहार: रात का खाना हल्का और कम मात्रा में लें, और सोने से कम से कम तीन घंटे पहले भोजन करें। अत्यधिक पानी, चाय या कॉफी के सेवन से भी बचें।
- शरीर और मस्तिष्क को आराम देना: सोने से पहले पैरों की तेल से मालिश करें और गर्म पानी से स्नान करें, इससे शरीर आराम महसूस करेगा और नींद बेहतर आएगी।
- घर का वातावरण: बेडरूम को अंधेरा और शांत रखें, ताकि बाहरी रोशनी और शोर से नींद में रुकावट न आए। मोबाइल फोन, लैपटॉप या टीवी का उपयोग सोने से पहले न करें।
- सकारात्मक सोच: सोने से पहले अगले दिन की चिंता छोड़कर सकारात्मक विचारों के साथ सोने की कोशिश करें। इस दौरान गहरी सांसें लेना भी नींद को बढ़ावा देता है।
- आयुर्वेदिक उपाय: ब्राह्मी, शंखपुष्पी, जटामांसी, वच, सर्पगंधा और अश्वगंधा जैसे चूर्ण लेने से नींद में मदद मिल सकती है। इसके अलावा, अखरोट में ओमेगा-3 और मेलाटोनिन पाया जाता है, जो गहरी नींद में सहायक है।
पंचकर्म चिकित्सा: आयुर्वेद में शिरोधारा और शिरोबस्ती जैसी पंचकर्म चिकित्सा विधियाँ भी तनाव को कम करने और नींद में सुधार करने के लिए बेहद प्रभावी मानी जाती हैं।
अगर उपायों से राहत न मिले तो डॉक्टर से संपर्क करें
अगर ऊपर बताए गए उपायों से नींद में सुधार नहीं होता, तो डॉक्टर से परामर्श लें और उनकी सलाह के अनुसार दवाइयाँ लें। क्योंकि अगर रात में अच्छी नींद आती है, तो दिनभर की ऊर्जा और सक्रियता बनी रहती है, जो आपके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है।
डॉ. वरिंदर कुमार,
सुनाम ऊधम सिंह वाला
(सभी उपायों को ध्यान में रखते हुए, नींद की स्वच्छता और आयुर्वेदिक मार्गदर्शन से आप अपनी नींद की गुणवत्ता में सुधार ला सकते हैं।)
ये भी देखे: Health Tips: स्वस्थ नींद के लिए सरल आदतें: जानें कैसे बेहतर सो सकते हैं आप