नई दिल्ली, 14 अप्रैल : पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हिंसा के बाद से सडक़ें सुनसान हैं, दुकानें बंद हैं और डरे हुए लोग घरों के अंदर ही कैद रहने को मजबूर हैं। पुलिस और केंद्रीय सशस्त्र बल धूलिया, शमशेरगंज और सुती क्षेत्रों के संवेदनशील इलाकों में गश्त कर रहे हैं। बता दें कि पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में सांप्रदायिक हिंसा से प्रभावित सैकड़ों लोगों ने भागीरथी नदी पार कर मालदा में शरण ली है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। स्थानीय प्रशासन ने दंगा प्रभावित परिवारों के लिए आश्रय और भोजन की व्यवस्था की है तथा उन्हें स्कूलों में शरण दी है। साथ ही मुर्शिदाबाद से नावों से आने वालों की सहायता के लिए नदी तट पर स्वयंसेवकों को तैनात किया है। इस बीच, भाजपा ने केंद्र से पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद और तीन अन्य जिलों में सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (आफस्फा) लागू करने का आग्रह किया।मुस्लिम बहुल मुर्शिदाबाद जिले के सुती, धुलियान, जंगीपुर और शमशेरगंज समेत कई इलाकों में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन हुए, जो सांप्रदायिक हिंसा में बदल गये। मीडिया में आई तस्वीरों में मुर्शिदाबाद के इन इलाकों में दुकानें, होटल और घर जलते हुए दिखाई दे रहे हैं।
हिंसा को लेकर भाजपा ने ममता बैनर्जी को घेरा
बीजेपी नेता अमित मालवीय ने मर्शिदाबाद हिंसा पर ममता सरकार को घेरते हुए कहा, मुर्शिदाबाद में स्थिति इतनी भयावह है कि यह बंगाली हिंदुओं की पैतृक भूमि पश्चिम बंगाल से बिलकुल मेल नहीं खाती। हिंदू परिवार-खासकर महिलाएं और लड़कियां शमशेरगंज के धूलियान से नाव से भागकर वैष्णवनगर के परलालपुर गांव में शरण ले रही हैं, जो कभी एक शांत और मनोरम क्षेत्र था, वह अब खून-खराबे और भय के क्षेत्र में तब्दील हो गया है, यह सब ममता बनर्जी की सत्ता की अनियंत्रित पकड़ के चलते हुआ है।