नई दिल्ली , 04 फ़रवरी 2025: Trade War Between US and China अमेरिका और चीन के बीच व्यापार विवाद एक बार फिर तेज हो गया है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा बीजिंग से आयातित वस्तुओं पर 10% टैरिफ लगाए जाने के बाद चीन ने अमेरिकी टेक दिग्गज Google के खिलाफ एंटी-ट्रस्ट जांच की घोषणा की। साथ ही, चीन ने कई अमेरिकी उत्पादों पर नए टैरिफ लगाने का भी फैसला किया है, जिससे दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार युद्ध फिर से शुरू हो गया है।
चीन की बड़ी घोषणा
चीन के स्टेट एडमिनिस्ट्रेशन फॉर मार्केट रेगुलेशन (SAMR) ने मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा कि वह अमेरिकी टेक कंपनी Google के खिलाफ एंटी-ट्रस्ट उल्लंघन की जांच करेगा। इसके अलावा, बीजिंग ने कोयले और तरलीकृत प्राकृतिक गैस पर 15% और अमेरिका से आयातित तेल और कृषि उपकरणों पर 10% शुल्क लगाने की घोषणा की।
चीन ने जो अन्य कदम उठाए हैं, उनमें टंगस्टन से संबंधित सामग्रियों पर निर्यात नियंत्रण, कैल्विन क्लेन के मालिक पीवीएच कॉर्प और इलुमिना इंक को अविश्वसनीय इकाई सूची में जोड़ना और कई अन्य उत्पादों पर शुल्क बढ़ाने की योजना शामिल है।
चीन के द्वारा यह टैरिफ बढ़ाने के फैसले के साथ, इसका असर वित्तीय बाजारों पर भी पड़ा है। चीन के युआन की कीमत में गिरावट आई है, जिससे मुद्रा 0.3% गिरकर 7.3340 तक पहुंच गई। इसके साथ ही, ऑस्ट्रेलियाई डॉलर और न्यूजीलैंड डॉलर में भी 0.8% तक गिरावट आई है।
चीन ने क्यों उठाया ऐसा कदम?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में चीनी निर्यात पर एक व्यापक शुल्क लगाने का आदेश दिया था, जो मंगलवार रात से प्रभावी होगा। उन्होंने चीन पर आरोप लगाया था कि वह अवैध दवाओं के प्रवाह को रोकने में विफल रहा है, और यह आदेश इसी संदर्भ में जारी किया गया है। ट्रम्प प्रशासन ने चेतावनी दी है कि अगर चीन इसी तरह जवाब देता है, तो टैरिफ बढ़ाया जा सकता है, जिससे दोनों देशों के बीच और तनाव बढ़ने की संभावना है।
यह नया व्यापार विवाद (Trade War Between US and China)दोनों देशों के आर्थिक रिश्तों के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है। इससे वैश्विक व्यापार पर भी असर पड़ेगा, क्योंकि अमेरिका और चीन का व्यापार जगत में बड़ा स्थान है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस युद्ध के चलते दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकता है।
यह व्यापार विवाद चीन और अमेरिका (Trade War Between US and China) के बीच आर्थिक दबाव की नई दिशा को चिह्नित करता है और आने वाले दिनों में वैश्विक व्यापार के लिए महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।
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