पंजाबी यूनिवर्सिटी में तीन दिवसीय विश्व सिख कान्फ्रेंस आरंभ

by TheUnmuteHindi
पंजाबी यूनिवर्सिटी में तीन दिवसीय विश्व सिख कान्फ्रेंस आरंभ

पटियाला, 16 अप्रैल : पंजाबी यूनिवर्सिटी के गुरू गोबिन्द सिंह धर्म अध्ययन विभाग में स्थापित गुरू गोबिन्द सिंह चेयर की तरफ से करवाई जा रही तीन दिवसीय विश्व सिख कान्फ्रेंस शुरू हो गई है। चेयर के प्रोफैसर इंचार्ज डा. गुरमीत सिंह सिद्धू ने स्वागती शब्दों दौरान बताया कि सिख अध्ययन के साथ इस कान्फ्रेंस में सिख अध्ययन में मौजूदा रुझान विषय पर विचार चर्चा की जाएगी। उन्होंने बताया कि यह कान्फ्रेंस हर साल बड़े स्तर पर करवाने का फैसला किया गया है जिससे सिख अध्ययन बारे बात की जा सके। डीन अकादमिक मामले प्रो. नरिन्दर कौर मुल्तानी ने अपने कान्फ्रेंस का प्रधानगी भाषण देते सिख फिलासफी के तीन सिद्धांतों नाम जपो, काम करो, बांटकर छको बारे विचार पेश किये। उन्होंने कहा कि आज के समय में अंतर- अनुशाशन अध्ययन की जरूरत है। अलग- अलग विषयों को आपस में जोड़ कर अध्ययन किये जाना समय की जरूरत है। उन्होंने इस मौके अपने निजी अनुभव सांझे करते बताया कि किस तरह उन के परिवार के धार्मिक माहौल ने उनको गुरबानी के जरिये पंजाबी के साथ जोड़ा और हर संकट या बड़े फैसले समय गुरु से हुक्मनामा लेने के लिए प्रेरित किया।

डॉ. धर्म सिंह ने किए विचार पेश

कान्फ्रेंस का उद्घाटनी भाषण गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर के पूर्व प्रोफेसर और डीन भाषाओं डा. धर्म सिंह की तरफ से दिया गया। उन्होंने अपने उद्घाटनी भाषण में भाई गुरदास जी से ले कर आज के सिख अध्ययन बारे विचार प्रस्तुत किये। उन्होंने कहा कि विज्ञान और सोशल विज्ञान के अलग- अलग विषयों को गुरबानी के संदर्भ में और भी गंभीरता के साथ समझा जा सकता है।
पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ से धर्म अध्ययन विभाग के प्रमुख प्रो. गुरपाल सिंह संधु ने अपने मुख्य- सुर भाषण दौरान कहा कि सिख अध्ययन को इतिहास और सामाजिक विधियों तक रखना सही नहीं है, बल्कि सिख अध्ययन के लिए पवित्रता के नुक्ते को हमेशा ध्यान में रखना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि गुरबानी भाषा दरअसल संकल्पों की भाषा है और सिख अध्ययन संकल्पों की भाषा का माध्यम है।

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