पटियाला, 17 अप्रैल : पंजाब सरकार की तरफ से लगातार दो बार पंजाबी यूनिवर्सिटी के वीसी लगाने के लिए भेजे पैनल की फाइल को पंजाब के राजपाल की तरफ से लगातार दो बार वापिस मोडऩे के बाद अब राज्य सरकार ने तीसरी बार एक नया तीन मैंबरी पैनल बनाकर राजपाल के दरबार भेज दिया है, जिस पर आने वाले दिनों अंदर फैसला होना है। उधर पुराने पैनल के दावेदारों ने कानून्नी लड़ाई लडऩे का फैसला किया है, जिस कारण नये और पुराने पैनल के दावेदार आमने सामने हो सकते हैं। पंजाब सरकार ने पहले पंजाबी यूनिवर्सिटी के सीनियर प्रोफैसर डा. पुशपिन्दर गिल, डा. वरिन्दर कौशिक और डा. गुरदीप बत्रा पर आधारित पैनल वीसी लगाने के लिए राजपाल को भेजा हुआ था परन्तु राजपाल ने इस फाइल को दो बार वापस मोड़ा। उसके बाद तीसरी बार फाइल जाने समय तरह तरह की चर्चाओं के बाजार गर्म रहा। राज्य सरकार ने अब दो दिन पहले पुराने पैनल को हटाकर एक नया पैनल बनाया गया, जिसमें पंजाबी यूनिवर्सिटी के सीनियर प्रोफैसर रहे डा. एएस चावला, आईजर संस्था के रजिस्ट्रार प्रोफैसर जगदीप सिंह और पंजाब यूनिवर्सिटी के प्रोफैसर डा. रत्न सिंह हैं। नए पैनल के लिए राज्य सरकार और दिल्ली के बीच कई दिन कशमकश भी चलती रही परन्तु आखिर नये पैनल को भेज दिया गया, जिसके बाद डा. एएस चावला के यूनिवर्सिटी का वीसी लगने के चर्चे भी तेज हो गए थे। राज्यपाल ने अभी तक इस पैनल पर फैसला नहीं लिया। यह अब समय ही बतायेगा कि राज्यपाल किसको वीसी लगाते हैं या फिर फाइल वापस मोड़ते हैं।
पुराने दावेदारों ने राज्यपाल के दरबार लगाई शिकायतों की झड़ी
पंजाब सरकार ने जैसे ही पुराने तीन दावेदार के नाम हटाकर नए तीन दावेदार प्रोफैसरों को वीसी लगाने के लिए राज्यपाल के दरबार पैनल की फाइल भेजी, उसी समय पुराने दावेदारें ने राज्यपाल के दरबार शिकायतों की झड़ी लगा दी है। यहां तक कि एक दावेदार डा. बत्तरा ने तो लम्बी चौड़ी चि_ी राज्यपाल को लिखी है। उन्होंने नये दावेदारों पर बड़ा ऐतराज जताया है। खास करके डा. एएस चावला पर तो बड़े बड़े करप्शन के सवाल उठाए गए हैं। यह पत्र आज सोशल मीडिया पर बड़ी चर्चा का केंद्र बना रहा। यह भी जानकारी मिली है कि नये पैनल खिलाफ दर्जन से ज्यादा शिकायतें राज्यपाल के दरबार में पहुंची हैं। अब यह राज्यपाल पर निर्भर करेगा कि वह किसको वाइस चांसलर नियुक्त करते हैं या नहीं।
पैनल चेंज नहीं हो सकता : हाईकरोट की शरण में जाएंगे पुराने पैनल के दावेदार
पंजाब सरकार की तरफ से पंजाबी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर के लिए बाकायदा तौर पर पोस्टें निकाला गई थीं और बाकायदा तौर पर सारे पंजाब से लगभग 40 सीनियर प्रोफैसरों ने इस लिए अप्लाई किया था। इसके बाद पंजाब सरकार ने बाकायदा तौर पर पांच मैंबरी सीनियर मोस्ट अधिकारियों की कमेटी बनाई थी, जिसने इस बीच में से तीन दावेदार वाइस चांसलर के लिए शार्टलिस्ट किये थे। इस पांच मैंबरी कमेटी ने बाकायदा तौर पर तीन दाअवेदारें को शारटलिस्ट करके सरकार को भेज दिया था, जिस पर सरकार ने इन तीन दावेदारों की फाइल राज्यपाल को भेजी थी। अब जब सरकार ने पहले पैनल को हटाकर दूसरे पैनल की फाइल सरकार को भेजी है तो पुराने दावेदार माननीय हाईकोर्ट में जा रहे हैं।
पुराने पैनल के दावेदारों का स्पष्ट कहना है कि पैनल चेंज नहीं हो सकता क्योंकि उसको एक पांच मैंबरी कमेटी ने शारटलिस्ट किया था। यदि सरकार ने दोबारा पैनल भेजना था तो उसको दोबारा पोस्टें निकालनीं पड़तीं और दोबारा ही तीन मैंबरी पैनल शारटलिस्ट होता, उसको ही सरकार के पास भेजा जा सकता था। इन दावेदारों का कहना है कि सरकार ने यह पैनल भेज कर पूरी तरह कानून का उल्लंघन किया है। इस लिए वह माननीय हाईकोर्ट में जाएंगे और हाईकोर्ट को बताएंगे कि नये पैनल के दावेदारों में से कुछ खिलाफ तो करप्शन के बड़े बड़े चार्जिज हैं।
एक साल से ज्यादा समय से खाली है वीसी की कुर्सी
पंजाबी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर की कुर्सी एक साल से ज्यादा समय से खाली पड़ी है। अब फिर यह मामला उलझता नजर आ रहा है। यदि यह मामला उलझ गया तो आने वाले समय में वीसी की नियुक्ति नहीं हो सकेगी। यदि मामला हाईकोर्ट में पहुंच जाता है तो यह मामला काफी पेचीदा बन जाएगा। अब राज्यपाल कब इस पर फैसला लेते हैं या वह फाइल वापिस मोड़ रहे हैं यह समय ही बतायेगा।