भारत सरकार ने मुकदमेबाजी पर 400 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए

by The_UnmuteHindi
Government spent money on litigation

नई दिल्ली: Government spent money on litigation: केंद्र सरकार ने पिछले दस वर्षों में अदालती मामलों में लड़ाई जारी रखने के लिए 400 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए हैं। यह आंकड़ा सरकारी खर्च के बढ़ते दबाव को दर्शाता है, खासकर जब सरकार के पास लंबित मामलों की संख्या बढ़ रही है।

वित्त वर्ष 2023-24 में मुकदमेबाजी पर बढ़ा खर्च

वित्तीय वर्ष 2023-24 में केंद्र सरकार का मुकदमेबाजी पर खर्च 66 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वित्त वर्ष से 9 करोड़ रुपये अधिक था। इस बढ़ोतरी के बावजूद सरकार ने मुकदमेबाजी पर खर्च की दर को काबू में रखने का प्रयास किया है, लेकिन अदालतों में लंबित मामलों की संख्या में वृद्धि इसका प्रमुख कारण बनी हुई है।

Government spent money on litigation: मुकदमेबाजी पर खर्च में बढ़ोतरी का ट्रेंड

सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, 2014-15 से मुकदमेबाजी पर खर्च की गई राशि में लगातार वृद्धि हो रही है, हालांकि दो वर्ष—जब कोविड महामारी अपने चरम पर थी—के दौरान इसमें गिरावट आई थी। 2014-15 में सरकार ने मुकदमेबाजी पर 26.64 करोड़ रुपये खर्च किए, जो 2015-16 में बढ़कर 37.43 करोड़ रुपये हो गया था। इसी तरह, 2014-15 से लेकर 2023-24 तक सरकार ने कुल 409 करोड़ रुपये से अधिक मुकदमेबाजी पर खर्च किए हैं।

Government spent money on litigation: सरकार के पास लंबित मामलों का बड़ा खाता

विधि मंत्रालय ने हाल ही में राज्यसभा में जानकारी दी थी कि केंद्र सरकार अदालतों में लगभग सात लाख मामलों में एक पक्ष के रूप में शामिल है। इसमें सबसे अधिक मामले वित्त मंत्रालय से संबंधित हैं, जहां लगभग 1.9 लाख मामले लंबित हैं। ये आंकड़े सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण हैं, क्योंकि कई मामले वर्षों से लंबित हैं और इनका निपटान समय लेता है।

राष्ट्रीय मुकदमा नीति का प्रस्ताव

इन लंबित मामलों के समाधान के लिए सरकार एक राष्ट्रीय मुकदमा नीति पर काम कर रही है। इस नीति का उद्देश्य अदालतों में लंबित मामलों को जल्द से जल्द निपटाने के लिए एक ठोस ढांचा तैयार करना है। इस नीति के मसौदे को जल्द ही केंद्रीय मंत्रिमंडल के सामने प्रस्तुत किया जाएगा, जो अंतिम निर्णय के लिए इसे मंजूरी देगा।

यह नीति कई वर्षों से तैयार की जा रही है और समय-समय पर इसे नए मसौदे और पुनः तैयार किया गया है। यह प्रक्रिया इस बात का संकेत देती है कि सरकार मुकदमेबाजी के दबाव से निपटने के लिए गंभीर है और न्यायिक प्रक्रिया में सुधार के लिए प्रयासरत है।

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