नई दिल्ली, 15 मई 2025: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। DRDO ने स्वदेशी नैनोपोरस मल्टीलेयर्ड पॉलीमर झिल्ली विकसित की है, जो समुद्री पानी को मीठे पानी में बदलने की अत्याधुनिक तकनीक है। यह तकनीक भारतीय तटरक्षक बल के लिए बेहद फायदेमंद साबित होगी।
DRDO की कानपुर स्थित डिफेंस मैटेरियल्स स्टोर्स एंड रिसर्च एंड डेवलपमेंट लैब ने भारतीय तटरक्षक बल के साथ मिलकर इस झिल्ली को विकसित किया है। खास बात यह है कि इसे रिकॉर्ड आठ महीने में तैयार किया गया।
वर्तमान में तटरक्षक बल के ऑफशोर पेट्रोलिंग वेसल पर लगे जल शोधन संयंत्र में इस तकनीक का परीक्षण चल रहा है। अब तक के परीक्षणों में संतोषजनक परिणाम मिले हैं। फिर भी, इस तकनीक को अंतिम मंजूरी से पहले तटरक्षक बल कम से कम 500 घंटे का परिचालन परीक्षण करेगा।
यह उपलब्धि आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम है, जो स्वदेशी तकनीक के विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
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