दिल्ली विधान सभा चुनाव : भाजपा की बढ़त से बड़ा बदलाव होता आया नजर

अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया सहित कई बड़े चेहरे हारे

by TheUnmuteHindi
दिल्ली विधान सभा चुनाव : भाजपा की बढ़त से बड़ा बदलाव होता आया नजर

दिल्ली विधान सभा चुनाव : भाजपा की बढ़त से बड़ा बदलाव होता आया नजर
अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया सहित कई बड़े चेहरे हारे
नई दिल्ली, 8 फरवरी : दिल्ली विधानसभा चुनावों को लेकर भाजपा को सीधे तौर पर बढ़त मिलती नजर आ रही है, वहीं दूसरी ओर आप व कांग्रेस पूरी तरह पीछे चल रही हैं। जानकारी के अनुसार अब तक आम आदमी पार्टी के केजरीवाल, सीएम आतिशी और मनीष सिसोदिया जहां हार चुके हैं, वहीं सीएम आतिशी समेत कई बड़े चेहरे पीछे चल रहे हैं। दिल्ली की सभी 70 सीटों पर पांच फरवरी को मतदान हुआ था और इस बार 60.54 फीसदी मतदान हुआ है, जबकि दिल्ली में पिछली बार 62.60 प्रतिशत मतदान हुआ था, जिन्हें लेकर आज परिणाम सामने आ रहे हैं।
अब तक आए परिणामों में यह हारे
दिल्ली की सबसे हॉट नई दिल्ली सीट से अरविंद केजरीवाल की हार हो गई है। यहां से बीजेपी के प्रवेश वर्मा ने जीत दर्ज की है।
जंगपुरा सीट से मनीष सिसोदिया 675 वोट से हारे हैं। यहां से भाजपा के तरविंदर सिंह ने दर्ज की है। उधर, भारत नगर मतगणना केंद्र के बाहर बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने जश्न मनाया।
वहीं पटपडग़ंज सीट से भाजपा प्रत्याशी रविंद्र सिंह नेगी ने जीत दर्ज कर ली है। जीतने के बाद उन्होंने सारा श्रेय प्रधानमंत्री को दिया है। इस सीट से आम आदमी पार्टी के अवध ओझा हार गए हैं। अवध ओझा ने कहा कि यह उनकी व्यक्तिगत हार है।
भाजपा के यह उम्मीदवार आगे
बता दें कि भगवा पार्टी के उम्मीदवार संजय गोयल (शाहदरा), चंदन चौधरी (संगम विहार), बजरंग शुक्ला (किरारी) और करतार सिंह तंवर (छतरपुर) भी आगे चल रहे हैं। दुर्गेश पाठक (राजिंदर नगर), अंजना पारचा (त्रिलोकपुरी) और वीर सिंह धींगान (सीमापुरी) अपने प्रतिद्वंद्वियों से आगे रहे।
1998 के बाद हुई भाजपा की बड़ी वापिसी
बता दें कि भारतीय जनता पार्टी 1998 से दिल्ली में सत्ता से बाहर है, वहीं पिछले 10 वर्षों से दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य पर अपना दबदबा बनाए रखा है और साल 2015 और 2020 के चुनावों में भारी बहुमत से जीत हासिल की है। 1998 से 2013 तक दिल्ली पर शासन करने वाली कांग्रेस पिछले दो चुनावों में एक भी सीट जीतने में नाकाम रहने के बाद वापसी की कोशिश कर रही है। हालांकि इस बार भी कांग्रेस की हालत पतली ही नजर आ रही है।

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