नई दिल्ली, 25 फ़रवरी: CAG Report over Liquor Policy: दिल्ली विधानसभा में मंगलवार को नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की एक रिपोर्ट पेश की गई, जिसमें 2021 में लागू की गई शराब नीति पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, इस नीति के कारण दिल्ली सरकार को 2,002.68 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। यह नीति नवंबर 2021 में लागू की गई थी, जिसे अगले साल सितंबर में रद्द कर दिया गया।
CAG Report over Liquor Policy: पिछली शराब नीति की कड़वी यादें
यह शराब नीति पिछली आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के लिए एक बड़े विवाद का कारण बनी थी। इसके चलते तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया सहित कई नेताओं को जेल भी जाना पड़ा। इस नीति से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोपों को आप पार्टी की विधानसभा चुनावों में हार और 26 साल बाद भाजपा की दिल्ली में सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई गई।
घाटे का मुख्य कारण: गैर-अनुरूप क्षेत्रों में शराब की दुकानें (CAG Report over Liquor Policy)
सीएजी की रिपोर्ट में बताया गया कि शराब नीति से होने वाला नुकसान विभिन्न उपशीर्षकों में बांटा गया है। सबसे बड़ा नुकसान, 941.53 करोड़ रुपये, इसलिए हुआ क्योंकि नई नीति के तहत गैर-अनुरूप क्षेत्रों में शराब की दुकानें खोलने की अनुमति नहीं दी गई। ऐसे क्षेत्रों में शराब की दुकानें खोलने के लिए भूमि उपयोग मानदंडों के अनुरूप नहीं होने के कारण इसे लागू नहीं किया गया।
विधानसभा में हंगामा और 15 विधायकों का निलंबन
इस रिपोर्ट को विधानसभा में भारी हंगामे के बीच पेश किया गया, जिसमें आप के 15 विधायकों को निलंबित भी किया गया। इस मुद्दे पर हुई तीखी बहस और विरोध ने विधानसभा में स्थिति को और गर्मा दिया।
सीएजी की रिपोर्ट ने दिल्ली की शराब नीति को लेकर कई गंभीर सवाल उठाए हैं, जिनमें प्रशासनिक चूक और गलत फैसलों के कारण सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ। इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक तापमान भी बढ़ गया है।
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