कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने New Income Tax Bill को जटिल बताया

by The_UnmuteHindi
Manish Tewari on new income tax bill

नई दिल्ली , 13 फ़रवरी 2025: New Income Tax Bill : कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने गुरुवार को नए आयकर विधेयक (New Income Tax Bill) पर आलोचना करते हुए कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के दावों के विपरीत यह विधेयक मौजूदा कानून से अधिक जटिल हो सकता है। तिवारी ने  कहा, “वित्त मंत्री ने कहा था कि नया विधेयक पहले के मुकाबले सरल होगा, लेकिन सच्चाई यह है कि पहले के आयकर विधेयक में 296 धाराएँ थीं, जबकि नए विधेयक में 500 से अधिक धाराएँ हैं। पहले के विधेयक में 5 अनुसूचियाँ थीं, जबकि नए विधेयक में 14 अनुसूचियाँ हैं।”

New Income Tax Bill : सरलता का दावा, जटिलता का सच

तिवारी ने यह भी आरोप लगाया कि यदि नया विधेयक सरल बनाने का उद्देश्य था, तो यह अब अधिक जटिल साबित हो रहा है। उन्होंने कहा, “यह विधेयक पहले से अधिक जटिल है, जबकि इसे सरल बनाने का दावा किया गया था।” इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि कांग्रेस नेता को नए विधेयक में प्रस्तावित बदलावों के प्रभाव पर आपत्ति है।

सरकार का उद्देश्य और विधेयक का भविष्य

इस नए आयकर विधेयक को सरकार ने 2024 के बजट में पेश किया था, जिसमें आयकर अधिनियम, 1961 को संक्षिप्त और स्पष्ट बनाने का प्रस्ताव किया गया था। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पहले ही संकेत दिया था कि इस विधेयक पर विस्तृत विचार-विमर्श किया जाएगा और इसे संसद की प्रवर समिति को भेजा जाएगा।

आयकर अधिनियम में सुधार की उम्मीद

सीतारमण ने 1 फरवरी को अपने बजट भाषण में यह कहा था कि सरकार का उद्देश्य आयकर अधिनियम में सुधार करना और इससे जुड़ी विवादों और मुकदमों को कम करना है। इसके साथ ही, वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया था कि नया विधेयक सरल, पारदर्शी और करदाताओं के लिए अधिक उपयुक्त होगा।

विपक्ष की आलोचना और राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ

तिवारी द्वारा की गई आलोचना से यह सवाल उठता है कि क्या यह विधेयक वास्तव में सरलता लाएगा या इसके लागू होने से नई जटिलताएँ उत्पन्न होंगी। विपक्ष का मानना है कि यह विधेयक अधिक जटिल हो सकता है, जबकि सरकार इसके सकारात्मक प्रभावों को लेकर आश्वस्त है।

विधेयक की संसद में समीक्षा

सरकार ने कहा है कि यह विधेयक संसद की प्रवर समिति में समीक्षा के बाद पेश किया जाएगा, और तब इसका सही रूप और प्रभाव स्पष्ट हो सकेगा। इसके बाद विधेयक पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा, जिससे यह पता चलेगा कि यह विधेयक करदाताओं के लिए कितनी सहूलियत पैदा करेगा।

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