नई दिल्ली: चीन और अमेरिका के बीच व्यापारिक टैरिफ को लेकर तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। हाल ही में अमेरिका ने चीनी उत्पादों पर 20 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की है, जिसके बाद स्थिति और भी जटिल हो गई है। इस बीच, चीन ने भारत के साथ अपनी साझेदारी को और मजबूत करने की दिशा में एक कदम बढ़ाया है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने शुक्रवार को यह अपील की कि भारत और चीन मिलकर काम करें और वैश्विक आधिपत्यवाद और सत्ता की राजनीति का विरोध करें। यह बयान अमेरिका के साथ चल रहे विवाद के संदर्भ में काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
वांग यी ने नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की बैठक के बाद कहा, “ड्रैगन और एलिफेंट (चीन और भारत) को एक साथ लाना अब एक वास्तविकता बन चुकी है, और यह ही सही मार्ग है।”
उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों को एक-दूसरे को कमजोर करने की बजाय एक-दूसरे का समर्थन करना चाहिए और आपसी सहयोग को मजबूत करना चाहिए। ऐसा करना दोनों देशों के और उनके लोगों के मौलिक हितों में है।
दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं को एकजुट होने की अपील
चीन के विदेश मंत्री ने आगे कहा, “अगर एशिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं एकजुट हो जाती हैं, तो इसका प्रभाव वैश्विक संबंधों पर पड़ेगा। यह अंतरराष्ट्रीय संबंधों का लोकतंत्रीकरण और ‘ग्लोबल साउथ’ का विकास और मजबूती लाएगा।” ‘ग्लोबल साउथ’ शब्द का इस्तेमाल उन देशों के लिए किया जाता है जो मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका में स्थित हैं और जिनका आर्थिक विकास अन्य देशों की तुलना में धीमा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अक्सर ‘ग्लोबल साउथ’ की बात करते रहे हैं।
भारत और चीन के रिश्तों में हाल के समय में सकारात्मक प्रगति देखी गई है। वांग यी ने बताया कि पिछले साल पूर्वी लद्दाख में हुए सैन्य गतिरोध का समाधान होने के बाद दोनों देशों के रिश्तों में सुधार हुआ है। खासकर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच रूस के कजान शहर में हुई बैठक के बाद, भारत-चीन संबंधों में कई महत्वपूर्ण सकारात्मक बदलाव आए हैं।
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