अमित शाह की टिप्पणी से भाषा नीति पर नया विवाद: तमिल को मेडिकल और इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में शिक्षा का माध्यम बनाने की वकालत

by The_UnmuteHindi
अमित शाह CISF दिवस समारोह तमिल को शिक्षा का माध्यम बनाने की अपील

नई दिल्ली, 07 मार्च: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में तमिल को मेडिकल और इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में शिक्षा के माध्यम के रूप में पेश करने का समर्थन करते हुए भारत में भाषा नीति पर एक बार फिर चर्चा को जन्म दिया। यह बयान उन्होंने रानीपेट के अरकोनम में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के 56वें स्थापना दिवस समारोह के दौरान दिया। इस अवसर पर शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता का उल्लेख किया और कहा कि शिक्षा एवं भर्ती प्रक्रियाओं में क्षेत्रीय भाषाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है।

शाह ने अपने संबोधन में CISF पत्रिका ‘सेंटिनल’ का विमोचन भी किया, सुरक्षा कर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित की और भाषा सुलभता के क्षेत्र में किए गए सुधारों पर प्रकाश डाला। उन्होंने यह भी बताया कि पहले, CAPF (केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल) की परीक्षाओं में उम्मीदवार अपनी मातृभाषा का चुनाव नहीं कर सकते थे, लेकिन अब प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर यह बदलाव किया गया है। अब उम्मीदवार अपनी मातृभाषा में भी परीक्षा दे सकते हैं, चाहे वह बंगाली, कन्नड़, या तमिल हो।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री से तमिल को शिक्षा का माध्यम बनाने की अपील

शाह ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन से पाठ्यक्रमों में तमिल को शिक्षा का माध्यम बनाने की दिशा में जल्द कदम उठाने का आग्रह किया। शाह ने कहा, “मैं तमिलनाडु के मुख्यमंत्री से अनुरोध करता हूं कि वे मेडिकल और इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में तमिल को शिक्षा के माध्यम के रूप में शामिल करने के लिए शीघ्र कदम उठाएं।

तमिलनाडु में हिंदी का विरोध लगातार हो रहा है , और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने हाल ही में केंद्र सरकार के रुख को चुनौती दी।

स्टालिन ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर एक पोस्ट में कहा,  केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने हमें तब उकसाया जब हम केवल अपना काम कर रहे थे। अब उन्हें इस लड़ाई के परिणामों का सामना करना होगा, जो वह कभी जीत नहीं सकते। तमिलनाडु को ब्लैकमेल करके हिंदी थोपने के प्रयास में सफल नहीं हुआ जा सकता।

तमिलनाडु सरकार ने हमेशा त्रिभाषा नीति का विरोध किया है, और उनका मानना है कि इससे राज्य की तमिल पहचान कमजोर होगी और भाषाई विविधता को खतरा उत्पन्न होगा। राज्य सरकार ने इस मुद्दे पर स्पष्ट रूप से अपनी आपत्ति जताई है, और केंद्रीय नीति के खिलाफ अपनी स्थिति को मजबूत किया है।

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