नई दिल्ली , 18 फ़रवरी 2025: Ranveer Allahbadia’s petition: सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और यूट्यूब सेलेब्रिटी रणवीर अल्लाहबादिया की याचिका (Ranveer Allahbadia’s petition) पर सुनवाई करेगा। याचिका में अल्लाहबादिया ने मांग की है कि कॉमेडियन समय रैना के यूट्यूब शो ‘इंडियाज गॉट लेटेंट’ पर की गई कथित अश्लील टिप्पणियों के कारण उनके खिलाफ दर्ज कई एफआईआर को एक साथ जोड़ा जाए। यह मामला देशभर में चर्चा का विषय बन गया है और अब सुप्रीम कोर्ट इसकी सुनवाई करेगा।
Ranveer Allahbadia’s petition: सुप्रीम कोर्ट की पीठ करेगी सुनवाई
इस मामले की सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ द्वारा की जा सकती है। मामले को लेकर शुक्रवार को पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के बेटे अभिनव चंद्रचूड़ ने शीर्ष अदालत से मामले को तुरंत सूचीबद्ध करने की अपील की थी। इसके जवाब में मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने आश्वासन दिया कि इस मामले पर जल्दी सुनवाई की जाएगी और इसे दो से तीन दिनों के भीतर एक पीठ को सौंप दिया जाएगा।
किस वजह से उठे विवाद
यह विवाद तब शुरू हुआ जब रणवीर अल्लाहबादिया ने समय रैना के यूट्यूब शो पर एक आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इसके बाद देश के विभिन्न हिस्सों में उनके खिलाफ कई एफआईआर दर्ज की गईं। इस मामले में अल्लाहबादिया के अलावा, रैना के साथ-साथ अन्य यूट्यूब सेलेब्रिटी भी शामिल हैं। इनमें असम मामले में नामित आशीष चंचलानी, जसप्रीत सिंह और अपूर्व मखीजा शामिल हैं। इस विवाद ने सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, जिम्मेदारी और सीमा को लेकर नई बहस छेड़ दी है।
कानूनी पहलू और सोशल मीडिया की जिम्मेदारी
इस मामले ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा किया है कि सोशल मीडिया पर कहां तक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमा है और क्या कुछ टिप्पणियां कानूनी कार्रवाई का कारण बन सकती हैं। सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और यूट्यूब सेलेब्रिटी के लिए यह एक अहम उदाहरण बन सकता है, जहां उनके शब्दों का प्रभाव सीधे तौर पर कानूनी परिणामों से जुड़ा होता है। वहीं, इससे यह भी सवाल उठता है कि क्या एक टीवी या यूट्यूब शो पर की गई टिप्पणियों को सार्वजनिक मान्यता मिलने के बाद लोगों की प्रतिक्रिया को कैसे नियंत्रित किया जाए।
अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण
सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर कंटेंट मॉडरेशन को लेकर कई देशों में सख्त नियम हैं, लेकिन भारत में ऐसे मामलों पर विवाद जारी रहता है। यहां पर क्या किसी के व्यक्तिगत बयान को कानूनी तौर पर रोकने के लिए किसी प्रकार के कड़े उपायों की जरूरत है, यह एक महत्वपूर्ण चर्चा का विषय बन चुका है।
सुप्रीम कोर्ट की आगामी सुनवाई से इस मामले का क्या हल निकलेगा, यह देखना दिलचस्प होगा। एक ओर जहां यह मुद्दा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़ा है, वहीं दूसरी ओर यह उन सोशल मीडिया सेलेब्रिटी और प्रभावित करने वाले व्यक्तियों के लिए एक चेतावनी बन सकता है कि वे अपने शब्दों और कार्यों के परिणामों के लिए जिम्मेदार हों।
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