पासपोर्ट कोर्ट की हिरासत में फिर भी आरोपी अमेरिका भागा, सुप्रीम कोर्ट हैरान

by The_UnmuteHindi
Supreme Court order

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक अनोखे और चौंकाने वाले मामले में आदेश जारी करते हुए कहा है कि एक व्यक्ति, जो अवमानना ​​कार्यवाही का सामना कर रहा था, को बिना पासपोर्ट के भारत से बाहर जाने की अनुमति कैसे दी गई। यह व्यक्ति अदालत की हिरासत में होने के बावजूद अमेरिका भाग गया, जिस पर शीर्ष अदालत ने नाराजगी जताई। कोर्ट ने आरोपी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी करने का आदेश दिया और गृह मंत्रालय को उसे गिरफ्तार करने के निर्देश दिए।

जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने इस मामले में और अधिक स्पष्टता की मांग की। पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) केएम नटराज से पूछा कि कैसे एक व्यक्ति, जिसका पासपोर्ट कोर्ट की हिरासत में था, बिना अनुमति के देश से बाहर जा सकता है। कोर्ट ने यह भी पूछा कि उसे देश छोड़ने में किसने मदद की और इसमें कौन से अधिकारी या अन्य लोग शामिल थे।

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का गृह मंत्रालय को निर्देश

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस मामले में गृह मंत्रालय को निर्देश दिया कि वह सभी आवश्यक कदम उठाकर आरोपी की गिरफ्तारी सुनिश्चित करें और उसे न्यायालय के सामने पेश करें। सुनवाई की अगली तारीख 19 फरवरी तय की गई है। इससे पहले, 29 जनवरी को कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि अवमानना कार्यवाही के दौरान या बाद में आरोपी के भारत में किसी भी संपत्ति से संबंधित लेन-देन पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश लागू रहेगा।

क्या है पूरा मामला

यह मामला एक तलाकशुदा पति और पत्नी के बीच चल रहे कस्टडी विवाद से जुड़ा हुआ है। आरोपी ने 12 सितंबर, 2017 को अमेरिका की एक अदालत से तलाक प्राप्त किया था और दोनों का एक 10 साल का बच्चा है। हालांकि, पत्नी ने भारत में अपने पति के खिलाफ कई कानूनी कार्यवाही शुरू की। 21 अक्टूबर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों के बीच समझौते के तहत यह निर्णय लिया कि बच्चे की कस्टडी पत्नी को दी जाएगी। जब आरोपी ने इस आदेश का पालन नहीं किया, तो पत्नी ने अवमानना ​​याचिका दायर की।

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आरोपी को 26 सितंबर, 2022 और 10 नवंबर, 2022 को सुनवाई के लिए पेश होने का आदेश दिया था। हालांकि, वह 13 दिसंबर, 2022 को केवल वस्तुतः पेश हुआ और 17 जनवरी, 2024 को उसे कोर्ट में नियमित रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया गया था। लेकिन वह 22 और 29 जनवरी को सुनवाई में उपस्थित नहीं हुआ, जिसके बाद अदालत ने उसे कोर्ट की अवमानना करने के लिए जिम्मेदार ठहराया और उसकी गिरफ्तारी के आदेश दिए।

यह मामला भारत में न्याय की प्रक्रिया के लिए एक अहम उदाहरण बन सकता है, जिसमें कोर्ट की अवमानना करने वाले आरोपी को अब किसी भी सूरत में न्याय के कटघरे में लाने के लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं।

कोर्ट ने इस मामले में साफ कर दिया कि अगर कोई व्यक्ति अदालत के आदेशों की अवमानना करता है, तो उसे किसी भी परिस्थिति में बख्शा नहीं जाएगा। यह आदेश भारतीय न्याय व्यवस्था की गंभीरता को दर्शाता है और यह भी बताता है कि अवमानना ​​के मामलों में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) किस हद तक सख्त है।

ये भी देखे: Chandigarh News: चाकू की नोक पर चपरासी से लूट, सेक्टर 33 में सनसनीखेज वारदात!

You may also like