दिल्ली दंगों के आरोपी Tahir Hussain को सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव प्रचार के लिए पैरोल दिया, खुद के लिए मांगेगा वोट

by The_UnmuteHindi
Tahir Hussain delhi

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को 2020 के दिल्ली दंगों के आरोपी और पूर्व आम आदमी पार्टी (आप) पार्षद ताहिर हुसैन (Tahir Hussain) को आगामी दिल्ली विधानसभा चुनावों में प्रचार करने के लिए 12 घंटे की कस्टडी पैरोल पर रिहा करने का आदेश दिया है। यह कस्टडी पैरोल 29 जनवरी से 3 फरवरी तक प्रभावी रहेगी।

कोर्ट ने फैसले मे क्या कहा

हुसैन, जो वर्तमान में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत हत्या, दंगा और मनी लॉन्ड्रिंग सहित कई गंभीर आरोपों में हिरासत में हैं, को इस पैरोल पर राज्य के खर्चों पर सहमति देने के लिए कहा गया है। उन्हें प्रतिदिन लगभग 2 लाख रुपये की राशि जमा करनी होगी, जो कि उनके साथ तैनात कर्मचारियों, जेल वैन और अन्य आवश्यक खर्चों को कवर करेगी। इसके अलावा, हुसैन को उत्तर-पूर्वी दिल्ली के मुस्तफाबाद विधानसभा क्षेत्र में अपनी बैठकों में भाग लेने और एआईएमआईएम कार्यालय जाने की अनुमति दी जाएगी।

उसके वकील ने कोर्ट से क्या मांग की ?

हुसैन (Tahir Hussain) ने अंतरिम जमानत के बजाय कस्टडी पैरोल की मांग की थी, ताकि उन्हें 5 फरवरी को होने वाले चुनाव के लिए प्रचार करने का मौका मिल सके। उनकी याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ अग्रवाल ने तर्क दिया कि हुसैन (Tahir Hussain) को मतदाताओं से संपर्क करने की अनुमति दी जानी चाहिए, क्योंकि चुनाव प्रचार के लिए अब केवल कुछ ही दिन बाकी हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि हुसैन अपने घर नहीं जाएंगे, बल्कि होटल में ठहरेंगे और चुनाव प्रचार में हिस्सा लेंगे।

हालांकि, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने हुसैन की याचिका का विरोध किया। उन्होंने कहा कि यदि हुसैन को इस प्रकार की राहत दी जाती है, तो यह मिसाल बनेगा और अन्य कैदी भी चुनाव प्रचार के लिए पैरोल की मांग करेंगे।

AIMIM के टिकट पर लड़ रहा है चुनाव

14 जनवरी को दिल्ली उच्च न्यायालय ने हुसैन (Tahir Hussain) को मुस्तफाबाद सीट से AIMIM के टिकट पर नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए हिरासत में पैरोल दी थी, लेकिन चुनाव प्रचार के लिए उन्हें अंतरिम जमानत देने से मना कर दिया था। दिल्ली दंगों के दौरान फरवरी 2020 में इंटेलिजेंस ब्यूरो के कर्मचारी अंकित शर्मा की हत्या से संबंधित मामले में हुसैन आरोपी हैं। दंगा प्रभावित क्षेत्र से शर्मा का शव मिला था, जिसमें 51 चोटों के निशान थे। इस मामले में कुल 53 लोग मारे गए थे।

हुसैन की कस्टडी पैरोल पर दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए एक नया मोड़ लिया है, और अब उनकी चुनावी गतिविधियों को लेकर राजनीतिक और कानूनी हलकों में चर्चा जारी है।

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