नई दिल्ली, 25 मार्च 2025: दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ लगे गंभीर आरोपों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तीन सदस्यीय कमेटी ने मंगलवार को अपना काम शुरू कर दिया।
यह कमेटी आज जस्टिस वर्मा के सरकारी बंगले पर पहुंची, जहां पिछले हफ्ते आग लगने की घटना के बाद बड़ी मात्रा में जला हुआ कैश बरामद हुआ था। इस मामले ने न्यायिक हलकों में हड़कंप मचा दिया है और अब इसकी गहन जांच शुरू हो गई है।
सुप्रीम कोर्ट की कमेटी करेगी गहराई से पड़ताल
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए तीन जजों की एक विशेष कमेटी बनाई थी। इसमें पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस जीएस संधवालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की जज जस्टिस अनु शिवरामन शामिल हैं।
यह कमेटी जस्टिस वर्मा के घर से मिले 4-5 बोरियों में जले हुए नोटों के मामले की जांच करेगी। जांच में कैश की उत्पत्ति, उसकी मात्रा और इस घटना के पीछे की परिस्थितियों को खंगाला जाएगा। कमेटी अपनी रिपोर्ट सीजेआई को सौंपेगी, जिसके आधार पर जस्टिस वर्मा के खिलाफ आगे की कार्रवाई तय होगी।
जस्टिस वर्मा का दावा- “साजिश का शिकार”
जस्टिस यशवंत वर्मा ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे अपनी छवि खराब करने की साजिश बताया है। उनका कहना है कि न तो वे और न ही उनके परिवार ने कभी उस स्टोररूम में कैश रखा था।
उन्होंने यह भी दावा किया कि आग लगने के बाद जब वे वहां पहुंचे, तो कोई कैश नहीं दिखा, लेकिन बाद में वीडियो में जले हुए नोट दिखाए गए, जो सबूतों के साथ छेड़छाड़ की ओर इशारा करता है।
हालांकि, दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की रिपोर्ट में कहा गया कि स्टोररूम में बाहरी व्यक्ति की पहुंच की कोई संभावना नहीं दिखती, जिससे सवाल उठता है कि यह कैश वहां कैसे पहुंचा।
आगे क्या होगा?
कमेटी अब जस्टिस वर्मा के फोन रिकॉर्ड, सुरक्षा कर्मियों के बयान और अग्निशमन विभाग के दस्तावेजों की जांच करेगी। सूत्रों के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा को फिलहाल किसी भी न्यायिक कार्य से दूर रखने का निर्देश दिया है।
अगर कमेटी की रिपोर्ट में भ्रष्टाचार या गंभीर अनियमितता के सबूत मिलते हैं, तो सीजेआई उनके इस्तीफे की मांग कर सकते हैं। यदि जस्टिस वर्मा इस्तीफा देने से इनकार करते हैं, तो संविधान के अनुच्छेद 124(4) के तहत संसद द्वारा उनकी बर्खास्तगी की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।
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