नई दिल्ली, 28 मार्च 2025: संगरूर से लोकसभा सांसद गुरमीत सिंह मीत हेयर ने संसद के शून्यकाल में पंजाब के एक छोटे से गाँव संसारपुर की बड़ी कहानी को उठाया। हॉकी के मक्का के नाम से मशहूर इस गाँव ने देश को 14 ओलंपियन दिए, लेकिन आज यहाँ के बच्चे एक अदद एस्ट्रोटर्फ हॉकी ग्राउंड के लिए तरस रहे हैं। मीत हेयर ने इस गाँव के गौरवशाली अतीत को याद करते हुए सरकार से गुहार लगाई कि इसे फिर से हॉकी का नर्सरी बनाया जाए।
हॉकी में संसारपुर का गौरवशाली इतिहास
मीत हेयर ने संसद में बताया कि संसारपुर ने हॉकी में जो योगदान दिया, वह अपने आप में एक मिसाल है। इस गाँव ने 14 ओलंपियन खिलाड़ी दिए, जिन्होंने ओलंपिक में सात पदक जीते—चार स्वर्ण, एक रजत और दो कांस्य। खास बात यह है कि 1975 में भारत को एकमात्र हॉकी विश्व कप जिताने वाले दिग्गज अजीत पाल सिंह भी इसी गाँव से थे। हैरानी की बात यह है कि इस गाँव के सभी ओलंपियन एक ही गली से निकले और सभी कुलार समुदाय से थे। यह गली कभी हॉकी की धड़कन हुआ करती थी, लेकिन अब यहाँ सन्नाटा पसरा है।
1976 के बाद ठप पड़ी प्रतिभा की खोज
सांसद ने दुख जताते हुए कहा कि 1976 के बाद से संसारपुर से एक भी ओलंपियन नहीं निकला। इसका बड़ा कारण यह है कि उस समय से हॉकी घास के मैदानों से हटकर एस्ट्रोटर्फ पर खेली जाने लगी। गाँव में न तो ऐसा ग्राउंड है और न ही बच्चों को आधुनिक सुविधाएँ मिल पा रही हैं। मीत हेयर ने बताया कि संसारपुर जालंधर छावनी के पास बसा है, जहाँ खेल के लिए जमीन की कमी है। घास के मैदान को एस्ट्रोटर्फ में बदलने के लिए सेना से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एन.ओ.सी.) चाहिए, लेकिन न तो यह एन.ओ.सी. मिली और न ही सेना ने खुद कोई पहल की।
सरकार से भावुक अपील
मीत हेयर ने गृह मंत्री, खेल मंत्री और सांसद अनुराग ठाकुर से भावुक अपील की कि संसारपुर के हॉकी इतिहास को सम्मान दिया जाए। उन्होंने कहा कि इस मामले को सेना के साथ उठाकर गाँव में एक हॉकी एस्ट्रोटर्फ ग्राउंड बनाया जाए, ताकि यहाँ के बच्चे फिर से ओलंपिक में देश का नाम रोशन कर सकें। “यह गाँव हॉकी का मक्का कहलाता था, इसे फिर से वही रुतबा दिलाना हमारी जिम्मेदारी है।
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