नई दिल्ली, 04 मार्च 2025: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को तेलंगाना सरकार और अन्य संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया है, जिनमें आरोप लगाया गया है कि तेलंगाना विधानसभा अध्यक्ष ने भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के सात विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने में अत्यधिक देरी की है। ये विधायक बीआरएस के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन बाद में सत्तारूढ़ कांग्रेस में शामिल हो गए थे।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी और नोटिस की दिशा
न्यायमूर्ति बीआर गवई और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने राज्य सरकार, विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय, तेलंगाना विधानसभा सचिव, भारत के चुनाव आयोग और दलबदलू विधायकों से जवाब मांगा। अदालत ने एक औपचारिक नोटिस जारी किया और मामले की अगली सुनवाई 25 मार्च के लिए निर्धारित की।
अयोग्यता याचिकाओं पर देरी पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट
सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने में लंबी देरी पर सवाल उठाया और कहा, “यह प्रक्रिया कार्यकाल के अंत तक चलेगी? फिर लोकतांत्रिक सिद्धांतों का क्या होगा?” पीठ ने यह भी टिप्पणी की, “हर मामला सफल ऑपरेशन नहीं हो सकता, मरीज मर सकता है,” इस पर जोर देते हुए कि देरी से निर्णय निरर्थक हो सकता है। अदालत ने यह भी याद दिलाया कि 31 जनवरी को वकीलों से मामले को सुलझाने के लिए समय सीमा के बारे में पूछा गया था, लेकिन कोई स्पष्ट प्रतिबद्धता नहीं दी गई थी।
विधायकों के वकीलों की आपत्ति और अदालत की प्रतिक्रिया
वहीं, प्रतिवादियों के वकीलों ने यह कहते हुए आपत्ति जताई कि मामले में कोई औपचारिक नोटिस जारी नहीं किया गया था। इस पर अदालत ने इसे “अति-तकनीकी” तर्क करार दिया और स्पष्ट किया कि इस आधार पर कोई और आपत्ति नहीं उठाई जा सकती।
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