शिमला, 25 सितंबर : हिमाचल प्रदेश एग्रीकल्चर टीचर्स एसोसिएशन द्वारा दायर याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर व न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ ने पालमपुर स्थित चौधरी सरवन कुमार कृषि विश्वविद्यालय की 112 हेक्टेयर भूमि को पर्यटन विभाग को हस्तांतरित करने पर रोक लगा दी है। जानकारी के अनुसार प्रार्थी संस्था के अनुसार पर्यटन गांव बनाने के लिए कृषि विश्वविद्यालय की भूमि का हस्तांतरण किया जाना कानूनी तौर पर गलत है क्योंकि इस परियोजना के लिए राज्य सरकार के पास अन्य विकल्प मौजूद हैं। प्रार्थी संस्था के अनुसार पालमपुर स्थित सीएसकेएयू एक ऐतिहासिक संस्थान है। यह सबसे पहले 1950 के दशक में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना के क्षेत्रीय केंद्र के रूप में कांगड़ा में आया था। तब कांगड़ा संयुक्त पंजाब का हिस्सा था। पंजाब के पहाड़ी क्षेत्रों को हिमाचल में मिलाने के बाद राज्य सरकार ने इसे पूर्ण विकसित विश्वविद्यालय बना दिया। पालमपुर में सीएसकेएयू के पास शुरू में करीब 400 हेक्टेयर जमीन थी। समय के साथ विश्वविद्यालय की 125 हेक्टेयर जमीन विभिन्न सरकारी विभागों को आवंटित कर दी गई। अब यदि विश्वविद्यालय की 112 हेक्टेयर जमीन पर्यटन गांव परियोजना के लिए इस्तेमाल की जाती है तो सीएसकेएयू के विस्तार के लिए ज्यादा गुंजाइश नहीं बचेगी।
हिमाचल हाईकोर्ट ने कृषि विश्वविद्यालय की 112 हेक्टेयर भूमि को पर्यटन विभाग को हस्तांतरित करने पर रोक लगाई
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