उत्तराखंड के माना में हिमस्खलन, 55 श्रमिक फंसे, बचाव कार्य जारी

देहरादून: उत्तराखंड के माना गांव, जो चीन सीमा के पास स्थित है, में एक दुखद हिमस्खलन ने सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के शिविर को अपनी चपेट में ले लिया। इस घटना में करीब 55 श्रमिकों के मलबे में फंसे होने की आशंका जताई जा रही है। अब तक, 33 श्रमिकों को सफलतापूर्वक बचाया जा चुका है, जबकि शेष 22 श्रमिकों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है। भारी बर्फबारी के कारण शुक्रवार शाम को तलाशी और बचाव अभियान को रोक दिया गया, लेकिन शनिवार सुबह बचाव दल फिर से प्रयास शुरू करने की योजना बना रहे हैं।

बचाव कार्य में भारतीय सेना और आईटीबीपी की सक्रियता

माना में हुए इस अचानक हिमस्खलन के बाद, भारतीय सेना और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) ने युद्धस्तर पर बचाव अभियान शुरू किया। एक अधिकारी ने बताया, “देर शाम तक भारी बर्फबारी के कारण हमें बचाव प्रयासों को रोकने के लिए मजबूर होना पड़ा।” राज्य आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि “अब तक 33 व्यक्तियों को सुरक्षित निकाल लिया गया है, जबकि 22 श्रमिक अभी भी लापता हैं।”

बचाव कार्य में बीआरओ ने जेसीबी मशीनों का इस्तेमाल करते हुए बर्फ हटाने की कोशिश की, लेकिन लगातार बर्फबारी और कोहरे के कारण काम में रुकावट आई। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की टीमें भी बचाव कार्य में शामिल हैं। ये टीमें पैदल ही बद्रीनाथ हाईवे से माणा गांव की ओर बढ़ रही हैं।

उत्तराखंड हिमस्खलन: सैनिकों की तैनाती और चिकित्सा टीम की मदद

भारतीय सेना की आइबेक्स ब्रिगेड ने सात अधिकारियों, 17 जेसीओ और 150 कर्मियों वाली बचाव टीम तैनात की है। इसके अलावा, विशेष चिकित्सा इकाई जिसमें दो डॉक्टर और चार एंबुलेंस शामिल हैं, को भी घटनास्थल पर भेजा गया है। इस टीम का मुख्य उद्देश्य फंसे हुए श्रमिकों की सुरक्षा और उपचार सुनिश्चित करना है।

उत्तराखंड हिमस्खलन: फंसे श्रमिकों के बारे में जानकारी

जिला प्रशासन के सूत्रों के अनुसार, फंसे हुए श्रमिक माणा से माणा दर्रे तक 50 किलोमीटर लंबे राजमार्ग चौड़ीकरण और डामरीकरण परियोजनाओं में कार्यरत थे। ये श्रमिक बीआरओ ईपीसी ठेकेदार के तहत काम कर रहे थे।

घटना के बाद तीन घायल श्रमिकों को अस्पताल ले जाया गया, जबकि बाकी श्रमिकों को निकालने के लिए बचाव कार्य जारी है। अधिकारियों ने बताया कि उत्तराखंड में लगातार तीन दिनों से मौसम खराब बना हुआ है, और ऊंची चोटियों पर बर्फबारी जारी है।

सड़कें अवरुद्ध, मौसम का असर बचाव कार्यों पर

भारतीय सेना और आईटीबीपी की टीमें सक्रिय रूप से बचाव कार्य में लगी हुई हैं, लेकिन खराब मौसम और बर्फबारी के कारण हनुमान चट्टी से आगे का राजमार्ग बंद हो गया है। एसडीआरएफ के कमांडेंट अर्पण यादवांशी ने बताया कि एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें घटनास्थल पर भेजी जा चुकी हैं, लेकिन बर्फबारी के कारण वे अभी भी फंसी हुई हैं।

जिला मजिस्ट्रेट डॉ. संदीप तिवारी ने घटना प्रतिक्रिया प्रणाली (आईआरएस) से जुड़े अधिकारियों को हाई अलर्ट पर रहने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को अवरुद्ध सड़कों पर यातायात बहाल करने और विद्युत आपूर्ति को फिर से चालू करने के लिए विद्युत लाइनों की मरम्मत करने का आदेश दिया गया है।

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