चंडीगढ़, 25 फ़रवरी 2025: Agricultural Marketing Policy: पंजाब विधानसभा ने मंगलवार को सर्वसम्मति से केंद्र द्वारा प्रस्तावित कृषि विपणन पर राष्ट्रीय नीति ढांचे के मसौदे के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया। विधानसभा का मानना है कि यह मसौदा 2021 में केंद्र द्वारा निरस्त किए गए तीन कृषि कानूनों को फिर से लागू करने का एक प्रयास है।
Agricultural Marketing Policy: प्रस्ताव पेश करते हुए कृषि मंत्री ने किया स्पष्ट
यह प्रस्ताव पंजाब के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुद्डियन ने विधानसभा में पेश किया। प्रस्ताव पारित करते समय भाजपा के दो विधायक सदन में मौजूद नहीं थे। मंत्री ने इस मसौदे पर अपनी पार्टी का और पंजाब सरकार का स्पष्ट रुख प्रस्तुत किया, जिसमें कहा गया कि यह नीति किसान विरोधी हो सकती है और किसानों की भावनाओं के खिलाफ है।
Agricultural Marketing Policy: मसौदे का उद्देश्य और पंजाब का विरोध
केंद्र ने पिछले वर्ष कृषि विपणन पर राष्ट्रीय नीति ढांचे के मसौदे को राज्य सरकार के साथ साझा किया था। मसौदे के अनुसार, इसका उद्देश्य “देश में एक जीवंत विपणन पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है, जिससे किसानों को अपनी उपज का सर्वोत्तम मूल्य प्राप्त हो सके और उन्हें अपनी पसंद के बाजार में जाने का विकल्प मिले।”
लेकिन पंजाब विधानसभा ने इस मसौदे को गंभीर चिंता के रूप में देखा है। प्रस्ताव में कहा गया कि यह मसौदा, विशेष रूप से तीन कृषि कानूनों के विवादास्पद प्रावधानों को फिर से लागू करने का एक प्रयास है, जिन्हें 2021 में किसानों के भारी विरोध के बाद केंद्र ने वापस ले लिया था।
राज्य सरकार को निर्णय लेने का अधिकार देने की बात
प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि कृषि विपणन राज्य का विषय है और भारत सरकार को इस पर कोई नीति नहीं बनानी चाहिए। राज्यों को अपनी आवश्यकताओं और चिंताओं के आधार पर कृषि विपणन के लिए उपयुक्त नीतियां बनाने का अधिकार होना चाहिए। पंजाब विधानसभा ने इस मुद्दे पर राज्य सरकार से कड़ा रुख अपनाने की सिफारिश की है ताकि राज्य की एपीएमसी मंडियों को संरक्षित किया जा सके।
निजी बाजारों का प्रभाव और एपीएमसी मंडियों की स्थिति
प्रस्ताव में यह भी कहा गया कि मसौदा नीति का उद्देश्य निजी बाजारों को बढ़ावा देना और एपीएमसी बाजारों को कमजोर करना है। एपीएमसी बाजारों में किसान पूरी पारदर्शिता के साथ अपनी उपज बेचते हैं और यहां एक स्थापित नियामक व्यवस्था के तहत उनके हितों की रक्षा होती है। यदि निजी बाजारों का विस्तार होगा, तो एपीएमसी मंडियां कमजोर पड़ जाएंगी और किसान निजी मंडियों के मालिकों पर निर्भर हो जाएंगे।
मुख्यमंत्री भगवंत मान का बयान
प्रस्ताव पर बहस में भाग लेते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि उनकी सरकार पहले ही इस मसौदे को खारिज कर चुकी है। उन्होंने केंद्र पर आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार को कमजोर करने के प्रयासों के खिलाफ उनका रुख स्पष्ट है। उन्होंने केंद्र द्वारा राज्यों के ग्रामीण विकास कोष को रोकने की आलोचना भी की और कहा, “हम राज्यों के अधिकारों को लूटने की अनुमति नहीं देंगे।”
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