Get Out Stalin: डीएमके और भाजपा के नेताओं के बीच तीखी नोकझोंक

चेन्नई, 21 फ़रवरी 2025: Get Out Modi vs Get Out Stalin: तमिलनाडु में डीएमके के उपमुख्यमंत्री  Udhayanidhi Stalin और भाजपा के राज्य प्रमुख के अन्नामलाई के बीच एक तीव्र राजनीतिक विवाद सामने आया है, जिससे राज्य के राजनीतिक माहौल में हलचल मच गई है। इस विवाद में केंद्र सरकार की नीतियों और राज्य के अधिकारों का सवाल उठाया गया, और दोनों नेताओं के बीच तीखी वाकयुद्ध ने राजनीतिक खाई को और गहरा कर दिया है।

एनईपी और तीन-भाषा नीति पर विवाद

यह विवाद 18 फरवरी को शुरू हुआ जब उदयनिधि स्टालिन ने एक रैली के दौरान राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) और तीन-भाषा नीति का विरोध करते हुए केंद्र सरकार पर राज्य के अधिकारों का अतिक्रमण करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “पिछली बार, जब आपने तमिलों के अधिकारों को छीनने का प्रयास किया, तो लोगों ने ‘मोदी वापस जाओ’ अभियान शुरू किया था। अगर आप फिर से ऐसा करते हैं, तो इस बार ‘मोदी बाहर निकालो’ आंदोलन होगा।” उनकी इस टिप्पणी ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के अन्नामलाई को प्रतिक्रिया देने के लिए उकसाया।

अन्नामलाई का पलटवार: #GetOutStalin हैशटैग

अन्नामलाई ने उदयनिधि की टिप्पणियों का तीखा जवाब दिया और चेतावनी दी कि अगर स्टालिन ने अपनी टिप्पणियों को दोहराया तो वह “स्टालिन को बाहर निकालो” अभियान चलाएंगे। इसके बाद, उन्होंने सोशल मीडिया पर #GetOutStalin हैशटैग के तहत डीएमके सरकार की आलोचना करते हुए यह लिखा, “एक परिवार की मनमानी, दागी मंत्रिमंडल, भ्रष्टाचार का केंद्र, तमिलनाडु में अराजकता, बढ़ता कर्ज, जीर्ण-शीर्ण शिक्षा मंत्रालय, महिलाओं और बच्चों के लिए अनिश्चित वातावरण, और चुनावी वादों को पूरा न करने के कारण डीएमके सरकार को जल्द ही सत्ता से हटा दिया जाएगा।”

Get Out Stalin: विवाद का काफ़ी बड़ा राजनीतिक संदर्भ

यह विवाद डीएमके और भाजपा के बीच केंद्रीय निधि आवंटन, एनईपी, और हिंदी को थोपने के आरोपों से जुड़ा हुआ है। डीएमके ने लगातार एनईपी का विरोध किया है, यह आरोप लगाते हुए कि यह शिक्षा में राज्य की स्वायत्तता को कमजोर करता है और हिंदी को बढ़ावा देता है, जबकि राज्य की क्षेत्रीय भाषाओं की उपेक्षा होती है। दूसरी ओर, भाजपा ने डीएमके सरकार पर कुप्रबंधन और कानून-व्यवस्था, शिक्षा, और महिला सुरक्षा जैसे मुद्दों पर विफल रहने का आरोप लगाया है। इसके अलावा, भाजपा ने डीएमके पर जाति और धर्म के आधार पर विभाजनकारी राजनीति करने का भी आरोप लगाया है।

यह विवाद तमिलनाडु में राजनीतिक तनाव को दर्शाता है, जिसमें दोनों प्रमुख दलों के बीच विचारधारा और प्राथमिकताओं के मामले में गहरी खाई नजर आ रही है। फिलहाल, यह देखना दिलचस्प होगा कि भविष्य में यह संघर्ष किस दिशा में विकसित होता है और किसका पक्ष राज्य के लोगों द्वारा समर्थित किया जाता है।

ये भी देखे: Get out Modi: अन्नामलाई और उदयनिधि स्टालिन के बीच जुबानी जंग

Related posts

पंजाब बजट 2025: 21 मार्च से 28 मार्च तक चलेगा बजट सत्र, 26 मार्च को पेश होगा बजट

दिल्ली: कनॉट प्लेस के रेस्टोरेंट में लगी भीषण आग, छह लोग घायल

46 साल बाद संभल के कार्तिकेय महादेव मंदिर में होली का उत्सव