Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti: हिंदवी स्वराज्य के संस्थापक, हिंदू गौरव के रक्षक और कुशल रणनीतिकार

Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti: छत्रपति शिवाजी महाराज भारतीय इतिहास के सबसे वीर, कुशल प्रशासक और रणनीतिकारों में से एक थे। Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti भारत में 19 फरवरी को उनके अद्वितीय योगदान और हिंदवी स्वराज्य की स्थापना के सम्मान में मनाई जाती है।  उन्होंने न केवल मराठा साम्राज्य की स्थापना की, बल्कि हिंदू संस्कृति और धर्म की रक्षा करते हुए एक सशक्त हिंदवी स्वराज्य की नींव रखी।

तथाकथित धर्मनिरपेक्ष इतिहासकारों ने अक्सर हिंदू नायकों को हीन और इस्लामी आक्रमणकारियों को शानदार के रूप में चित्रित करने का प्रयास किया है। ये इतिहासकार शिवराय को एक धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति के रूप में चित्रित करने का प्रयास कर रहे हैं, जिन्होंने हिंदू कारणों के बजाय सामाजिक न्याय के लिए लड़ाई लड़ी। ये झूठे इतिहासकार उनकी सेना में बड़ी संख्या में मुसलमानों के बारे में झूठी मिथक बनाने के लिए भी जिम्मेदार हैं।

आइए तथ्यों पर नज़र डालें, जो स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि उन्होंने सनातन धर्म की महिमा को बहाल करने और हिंदू कारणों के लिए हिंदुओं को एकजुट करने के लिए संघर्ष किया। एक हिंदू होने के नाते, उन्होंने हिंदुओं और उनकी महान विरासत के खिलाफ अन्याय का विरोध और लड़ाई करते हुए कभी भी किसी धर्म का तिरस्कार नहीं किया।

 छत्रपति शिवाजी महाराज का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

– जन्म: 19 फरवरी 1630, शिवनेरी किला, महाराष्ट्र
– पिता: शाहजी भोसले (मराठा सरदार)
– माता: जीजाबाई (धर्मपरायण और वीरता की प्रेरणा देने वाली)

शिवाजी महाराज के व्यक्तित्व को उनकी माता जीजाबाई ने आकार दिया, जिन्होंने उन्हें हिंदू धर्म, नैतिकता और युद्धकला की शिक्षा दी। उनके गुरु *दादाजी कोंडदेव* ने उन्हें सैन्य रणनीति, प्रशासन और राजनीति में दक्ष बनाया।

Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti: स्वराज्य की स्थापना और संघर्ष

तोरणा किले से विजय की शुरुआत

शिवाजी महाराज ने 16 वर्ष की आयु में  तोरणा किला जीतकर स्वतंत्र स्वराज्य की नींव रखी। इसके बाद उन्होंने रणनीति और साहस से एक के बाद एक कई किले जीते और अपने राज्य का विस्तार किया।

छत्रपति शिवाजी महाराज और मुगलों के बीच संघर्ष

-1659 में अफजल खान का वध: आदिलशाही के सेनापति अफजल खान को परास्त कर हिंदवी स्वराज्य की शक्ति बढ़ाई।
– 1665 में पुरंदर की संधि: मजबूरी में मुगलों से संधि की, लेकिन अपनी रणनीति से स्वराज्य को बचाए रखा।
– 1674 में रायगढ़ पर राजतिलक: छत्रपति की उपाधि ग्रहण कर एक स्वतंत्र हिंदू साम्राज्य की स्थापना की।

हिंदू संस्कृति और धर्म रक्षा में छत्रपति शिवाजी का योगदान

मंदिरों और धार्मिक स्थलों का पुनर्निर्माण

शिवाजी महाराज ने मुगलों और अन्य विदेशी आक्रांताओं द्वारा ध्वस्त किए गए मंदिरों का पुनर्निर्माण करवाया।

सप्तकोटेश्वर मंदिर, गोवा
– श्रीशैलम मंदिर, आंध्र प्रदेश
– समुद्रतीरपेरुमल मंदिर, तमिलनाडु

उन्होंने हिंदू गौरव और संस्कृति को पुनर्स्थापित करने का कार्य किया।

न्याय और प्रशासन

– हिंदू धर्म के मूल्यों को बनाए रखते हुए न्यायपूर्ण प्रशासन स्थापित किया।
– किसानों और व्यापारियों को सुरक्षा और समृद्धि प्रदान की।
– महिलाओं और कमजोर वर्गों के सम्मान की रक्षा के लिए कठोर नियम बनाए।

स्वामी विवेकानंद ने क्यों कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज एक दिव्य योद्धा थे?

स्वामी विवेकानंद ने शिवाजी महाराज की तुलना एक दिव्य योद्धा से की और कहा: “पिछली तीन शताब्दियों में भारत ने जो सबसे महान राजा उत्पन्न किया, वह शिवाजी महाराज ही थे। वे एक अवतारी पुरुष थे, जिनका जन्म हिंदू समाज की रक्षा और उत्थान के लिए हुआ था।”

Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti का इतिहास: पहली बार कब और किसने मनाई?

पहली शिव जयंती किसने मनाई?

महान समाज सुधारक  ज्योतिराव फुले ने पहली बार शिव जयंती का आयोजन किया। उन्होंने शिवाजी महाराज को शोषित और पीड़ित समाज के उद्धारकर्ता के रूप में प्रस्तुत किया। बाद में लोकमान्य तिलक ने इस उत्सव को एक राष्ट्रवादी पर्व का रूप दिया।

Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti से क्या सीख सकते हैं?

छत्रपति शिवाजी महाराज का जीवन केवल युद्ध और विजय की कहानी नहीं है, बल्कि यह हिंदू संस्कृति, धर्म और न्याय की रक्षा के लिए किए गए बलिदानों और संघर्षों की प्रेरणा है। Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि हमें उनके आदर्शों और सिद्धांतों को आत्मसात करने का संकल्प लेने का अवसर भी प्रदान करती है। उन्होंने दिखाया कि सच्चे नेतृत्व, निडरता और कुशल रणनीति के माध्यम से कैसे एक महान साम्राज्य की स्थापना की जा सकती है। इस शिव जयंती पर हम सभी को उनके आदर्शों को अपनाने और स्वराज्य, न्याय व धर्म रक्षा के उनके सिद्धांतों को आगे बढ़ाने की प्रतिज्ञा लेनी चाहिए।

ये भी देखे: Chhatrapati Shivaji Maharaj: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 395वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की

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