Sindh से 68 हिंदू श्रद्धालु महाकुंभ में सम्मिलित होने प्रयागराज पहुंचे

68 Hindu devotees from Sindh reached Prayagraj

 प्रयागराज , 07 फ़रवरी 2025: Sindh  पाकिस्तान के सिंध (Sindh) प्रांत से 68 हिंदू श्रद्धालुओं का एक समूह गुरुवार को प्रयागराज पहुंचे, जहां उन्होंने पवित्र संगम में डुबकी लगाई और अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। श्रद्धालुओं ने गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती के संगम पर अनुष्ठान किए और धार्मिक क्रियाओं में भाग लिया।

संगम पर धार्मिक अनुष्ठान और श्रद्धा

उत्तर प्रदेश सूचना विभाग के अनुसार, श्रद्धालुओं का यह समूह महाकुंभ के अवसर पर संगम पहुंचा। महंत रामनाथ के नेतृत्व में श्रद्धालुओं ने हरिद्वार में अपने पूर्वजों की अस्थियां विसर्जित कीं और फिर प्रयागराज में संगम पर अनुष्ठान किए। रामनाथ ने बताया कि इस यात्रा में लगभग 480 पूर्वजों की अस्थियां विसर्जित की गईं।

 Sindh से पहली बार भारत पहुंचे श्रद्धालु

इस समूह में शामिल गोबिंद राम मखेजा, जो सिंध के घोटकी क्षेत्र से हैं, ने कहा, “महाकुंभ के बारे में सुनने के बाद से हम यहां आने के लिए उत्सुक थे। यह एक गहरा अनुभव है, जिसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता।” मखेजा ने बताया कि पहले भी कुछ श्रद्धालु महाकुंभ में शामिल होने के लिए प्रयागराज आ चुके थे, लेकिन इस बार सिंध के छह जिलों से 68 श्रद्धालु आए हैं, जिनमें से 50 लोग पहली बार यहां आए हैं।

महाकुंभ में शामिल श्रद्धालुओं का अद्भुत अनुभव

11वीं कक्षा की छात्रा सुरभि ने पहली बार महाकुंभ में शामिल होने के अपने अनुभव को साझा किया, “यह अद्भुत लग रहा है। पहली बार मैं अपने धर्म को इस तरह से देख पा रही हूं। यह अनुभव मेरे लिए बेहद खास है।”

सिंध की गृहिणी प्रियंका ने भी महाकुंभ में अपनी यात्रा को एक दिव्य अनुभव बताया। उन्होंने कहा, “हमारे लिए यहां आकर अपनी संस्कृति और धर्म को देखना एक अद्वितीय अनुभव है। हम सिंध (Sindh) में मुसलमानों के बीच पले-बढ़े हैं, और यहां भारत में अपने सनातन धर्म को देखना हमारे लिए गर्व की बात है।”

वीजा प्रक्रिया पर टिप्पणी और भारतीय सरकार से आभार

सुक्कुर के निवासी निरंजन चावला ने भारत सरकार से वीजा प्रक्रिया को सरल बनाने की अपील की। चावला ने कहा, “पाकिस्तान में हिंदुओं को नागरिकता प्राप्त करने में कठिनाइयां होती हैं, लेकिन इस बार हमारे समूह को वीजा पाने में कोई खास कठिनाई नहीं हुई, जिसके लिए हम भारत सरकार के आभारी हैं।” चावला ने यह भी बताया कि उनका समूह अब रायपुर जाएगा और 8 फरवरी को हरिद्वार में अस्थि विसर्जन करने की योजना बना रहा है।

अखाड़ों के संतों से मुलाकात और मेले का आनंद

श्रद्धालु अब महाकुंभ के अखाड़ों के संतों से मिलकर भव्य मेले का आनंद लेने के लिए तैयार हैं। यह यात्रा न केवल आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि पाकिस्तान और भारत के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक संबंधों को भी मजबूती प्रदान करने का एक सशक्त माध्यम बन रही है।

महाकुंभ के इस धार्मिक पर्व ने भारत और पाकिस्तान के हिंदू समुदाय को एकजुट किया है, और यह दोनों देशों के बीच धार्मिक सहिष्णुता और समझ को प्रोत्साहित करने का एक अद्भुत उदाहरण बन रहा है।

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